कर्कटशृंगी के औषधीय गुण और उपयोग

आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में इस प्राकृतिक पौधे को कर्कटशृंगी के नाम से जाना जाता है, परन्तु आम बोल-चाल में इसको काकड़ासिंगी कहा जाता है। प्राचीन काल से ही आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस प्राकृतिक जड़ी-बूटी का इस्तेमाल अनेक गंभीर बीमारियों की रोकथाम के लिए किया जा रहा है।

कर्कटशृंगी को अनेक आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर औषधि माना जाता है। यह खाँसी, अस्थमा, बुखार, पेट से संबंधित बीमारियां, श्वाश रोग आदि को दूर करने में लाभकारी साबित होती है। यह औषधि श्वास नली को स्वस्थ और दुरुस्त रखने में मदद करती है। कर्कटशृंगी अनेक प्रकार के वायरल, बैक्टीरियल, और फंगल संक्रमणों से शरीर को बचाने में सक्षम है। इस जड़ी-बूटी का उपयोग बच्चों की बीमारियों के उपचार में काफी लाभकारी माना जाता है। कर्कटशृंगी वाजीकरण से सम्बंधित परेशानियों को दूर करने में भी मदद करती है। आज इस लेख में हम कर्कटशृंगी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेगें।Pistacia Integerrima

कर्कटशृंगी पौधे का परिचय 

आयुर्वेद चिकित्सा के प्राचीन ग्रंथों, जैसे चरक संहिता, आदि में इस प्राकृतिक जड़ी बूटी के बारे में स्पष्ट रूप से बताया गया है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस प्राकृतिक औषधि का प्रयोग ज़्यादातर श्वास संबंधी बिमारियों, पाचन विकारों और हृदय से संबंधित रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। यह पौधा 16 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है। इस पौधे की पत्तियां 20-25 सेंटीमीटर लम्बी होती हैं। इस झाड़ीनुमा पौधे की सुगंध काफ़ी अजीब होती है और इसकी पत्तियां गहरे हरे रंग की होती हैं, जो शरद ऋतु आते ही चमकीले लाल रंग की हो जाती हैं। इस समय में कर्कटशृंगी के पौधे को आसानी से पहचाना जा सकता है। इस पौधे के फूल नर और मादा दोनों प्रकार के होते हैं। यह पौधा वसंत के मौसम में फूल और फलों से भर जाता है। सर्दियों में इसके फलों के बड़े समूह पक कर तैयार हो जाते हैं। 

कर्कटशृंगी पौधे के अन्य भाषाओं में नाम 

 

  • संस्कृत – कर्कट शृङ्गी, कुलीरविषाणिका
  • लेटिन – Pistacia integerrima
  • अंग्रेजी – Crabs claw
  • हिन्दी – काकड़ासिंगी, काकरासिंगी
  • उर्दू – काकरा
  • तेलुगु – काकराशिंगी
  • तमिल – काक्कटशिंगी
  • कश्मीर – काक्कर
  • गुजराती – कांकड़ाशिंगी
  • बंगाली – काकरा, कांकराशृङ्गी
  • नेपाली – काकरसिंगी
  • पंजाबी – ककर
  • मराठी – काकड़शिंगी

कर्कटशृंगी के प्रयोज्य अंग

 

  • छाल
  • फूल
  • फल

आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में कर्कटशृंगी पौधे के बारे में श्लोक

 

 

व्याख्या :-इस श्लोक में कहा गया है कि श्रृंगी, कर्कट श्रृंगी, कुलिर, विशनिका, अजृंगी, चक्र और कर्काटक ये सभी कर्कटशृंगी पौधे के अन्य नाम  हैं। यह गर्म शक्ति के साथ स्वाद में कषैला और कड़वा होता है। यह कफ दोष  और वात दोष से संबंधित  बुखार, तपेदिक, सांस की समस्याओं, खांसी, प्यास, हिचकी, एनोरेक्सिया और उल्टी को दूर करने वाला होता है।

    सन्दर्भ :भावप्रकाश निघण्टु, (हरितक्यादिवर्ग ), श्लोक -178 -179

शरीर के अंदर तीनों दोषों पर कर्कटशृंगी के प्रभाव 

आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार यह प्राकृतिक जड़ी-बूटी शरीर के अंदर तीनों दोषों (वात ,पित्त और कफ) को संतुलित रखने में सहायक होती है परन्तु मुख्य रूप से यह शरीर में वात और कफ के असंतुलन को दूर करती है। जब शरीर के अंदर कफ दोष असंतुलित हो जाता है तो व्यक्ति खाँसी, जुकाम, श्वास रोग, आदि से पीड़ित हो जाता है। 

कर्कटशृंगी के आयुर्वेदिक गुण 

खांसी को दूर करने की लाभकारी औषधि :– आयुर्वेद के अनुसार जब व्यक्ति के शरीर में कफ दोष असंतुलित रहने लगता है तो वह सर्दी – खांसी जैसी बीमारियों से ग्रसित रहने लगता है। इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए और कफ दोष को संतुलित रखने के लिए कर्कटशृंगी पौधे की छाल से काढ़ा बनाकर सुबह खाली पेट सेवन करना चाहिए। इसके अलावा आप इस पौधे की छाल का आधा चम्मच चूर्ण और आधा चम्मच मधु का मिश्रण करके रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ सेवन करें, यह खाँसी में अत्यंत लाभकारी होता है।

बच्चों के लिए उपयोगी :–  बच्चे सबसे ज्यादा खाँसी, जुखाम, सर्दी, ज्वर जैसी बिमारियों से ग्रसित होते हैं, जिसकी सबसे बड़ी वजह उनके शरीर में कफ का असंतुलित होना होता है। आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार बाल अवस्था में सबसे ज्यादा कफ दोष ही शरीर को प्रभावित करता है। बच्चों की इन सभी बीमारियों को खत्म करने के लिए उन्हें सुबह खाली पेट, आधा चम्मच कर्कटशृंगी की छाल का चूर्ण और आधा चम्मच पीपली की छाल का चूर्ण मिलाकर गुनगुने पानी के साथ रोजाना देना चाहिए। यह प्रयोग कफ दोष से संबंधित सभी बीमारियों को बहुत जल्दी दूर करता है।

श्वास रोगों में फायदेमंद :– अगर कोई श्वास नली से संबंधित रोगों से ग्रसित है तो उसको कर्कटशृंगी के पौधे की छाल और आधा चम्मच मधु का मिश्रण करके सेवन करना चाहिए। यह प्रयोग श्वास नली को स्वस्थ बनाए रखता है और व्यक्ति को श्वास संबंधी रोगों से भी बचाता है।

कर्कटशृंगी के अन्य लाभकारी गुण 

 

  • यह जड़ी-बूटी घाव को जल्दी भरने में सहायक है।
  • यह जठराग्नि को उत्तेजित रखने में मददगार है।
  • यह दस्त, एनोरेक्सिया और पेचिश के उपचार में भी काफी प्रभावी है।
  • खांसी और अपच का उपचार करने में सहायक है।
  • यह  फेफड़े और श्वासनली में जमे बलगम की निकासी में मदद करता है।
  • यह जड़ी बूटी महिला प्रजनन प्रणाली के अच्छे स्वास्थ्य का समर्थन करती है।
  • मासिक धर्म के दौरान होने वाली परेशानियों को दूर करने में सहायक है।
  • यह बुखार के उपचार में अत्यंत लाभकारी है।
  • विभिन्न बैक्टीरियल, वायरल और फंगल संक्रमणों को दूर करने के लिए यह औषधि फायदेमंद हैं।
  • यह प्राकृतिक तरीके से कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को कम करने में मदद करती  है।
  • यह औषधि  शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार करने में भी मदद करती है। यह जड़ी बूटी यौन बिमारियों को दूर करने में भी उपयोगी है।

 

 

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Dr. Vikram Chauhan

Dr. Vikram Chauhan (MD - Ayurveda) is a Globally Renowned Ayurveda Physician with Expertise of more than 25 Years. He is the CEO & Founder of http://www.PlanetAyurveda.com, a leading Ayurveda Brand, Manufacturing, and Export Company with a Chain of Clinics and Branches in the US, Europe, Africa, Southeast Asia, India, and other parts of the World. He is also an Ayurveda Author who has written Books on Ayurveda, translated into Many European Languages. One of his Books is "Ayurveda – God’s Manual for Healing". He is on a Mission to Spread Ayurveda All Over the Planet through all the Possible Mediums. With his Vast Experience in Herbs and their Applied Uses, he is successfully treating Numerous Patients suffering from Various Ailments with the help of the Purest Herbal Supplements, Diet, and Lifestyle, according to the Principles of Ayurveda. For More Details, visit. Read More

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