आरोग्यवर्धनी वटी के आयुर्वेदिक गुण और उपयोग करने की विधि

आयुर्वेद के अनुसार इस आयुर्वेदिक दवा के नाम से ही इसके गुणों के बारे पता चलता है, अर्थात जो औषधि शरीर को बीमारियों  से सुरक्षित रखे, उस औषधि को आरोग्यवर्धनी वटी कहते हैं। यह आयुर्वेदिक औषधि  हमारे संम्पूर्ण शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती है। शरीर के अंदर सबसे ज्यादा बीमारियां पाचन तंत्र के खराब होने कि वजह से आती हैं और यह औषधि हमारे पाचन विकारों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अगर किसी व्यक्ति के शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति कमजोर हो गयी है, तो उसके लिए आरोग्यवर्धनी वटी का नियमित उपयोग करना फायदेमंद साबित होता है। यह आयुर्वेदिक दवा पेट की बीमारियों , हृदय रोगों, त्वचा रोगों और मूत्राशय मार्ग से संबंधित रोगों को दूर करने में लाभदायक मानी जाती है।

Ayurvedic Medicines (आयुर्वेदिक औषधियां)

आरोग्यवर्धनी वटी का परिचय

आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस औषधि को अपने लाभकारी औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इस औषधि को आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथ रसरत्न समुच्चयः  के नियमों का पालन कर महत्वपूर्ण प्राकृतिक जड़ी बूटियों के मिश्रण से तैयार किया जाता है। यह प्राकृतिक जड़ी बूटियां हमारे शरीर को बीमारियों  से बचाए रखने में लाभकारी भूमिका निभाती हैं। हमारा शरीर लिवर, पाचन और ह्रदय संबधी बीमारियों  से सुरक्षित रहता है|  ये आयुर्वेदिक गोलियां  हमारे शरीर को हानिकारक संक्रमणों से बचाए रखने में भी मदद करती हैं।  ये 100 % शुद्ध, शाकाहारी और हानिकारक रसायनों से मुक्त है और इनका  कोई दुष्प्रभाव नहीं है। इसलिए हम सभी इस आयुर्वेदिक वटी का उपयोग कर अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं।

शरीर के त्रिदोषों  पर आरोग्यवर्धनी वटी के प्रभाव

यह आयुर्वेदिक गोलियां हमारे शरीर में तीनों दोषों (वात, पित्त और कफ) को संतुलित रखने में सहायक साबित होती है परन्तु मुख्य रूप से पित्त दोष के असंतुलित होने के कारण होने वाली बीमारियां जैसे: लीवर से संबंधित रोग, पेट संबंधित रोग और मूत्राशय मार्ग के रोगों को दूर करती हैं।

प्लेनेट आयुर्वेदा द्वारा तैयार आरोग्यवर्धनी  के मुख्य घटक द्रव्य

  1. शुद्ध पारद
  2. शुद्ध गंधक
  3. लोह भस्म
  4. अभ्रक भस्म
  5. ताम्र भस्म
  6. हरीतकी
  7. आंवला
  8. बहेड़ा
  9. शुद्ध शिलाजीत
  10. शुद्ध गुग्गुलु
  11. चित्रकमूल चूर्ण
  12. कुटकी चूर्ण
  13. नीम के पत्तों का रस

सन्दर्भ :– रसरत्न समुच्चयः (चैप्टर -20 ), आरोग्यवर्धनी वटी, श्लोक – 87 – 93

Arogyavardhani Vati (आरोग्यवर्धनी वटी)
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आरोग्यवर्धनी वटी के आयुर्वेदिक फायदे

1. पाचन तंत्र को दुरुस्त रखे

आयुर्वेद के अनुसार अगर हमारा पाचन तंत्र दुरुस्त है तो हम अनेक गंभीर बीमारियों  से बचे रहते हैं। खराब पाचन तंत्र के कारण हमें गैस, कब्ज, पेट दर्द, आँतों की बीमरी और अल्सर जैसी हानिकारक बीमारियों  का सामना करना पड़ सकता है। इन सभी समस्याओं को दूर करने और जठराग्नि के कार्य को बढ़ाने के लिए हमें नियमित रूप से आरोग्यवर्धनी  वटी का उपयोग करना चाहिए। यह आयुर्वेदिक दवा हमारे भोजन को अच्छे से पचने में मदद करती है, जिससे हम पाचन संबंधी विकारों से बचे रहते हैं। इस आयुर्वेदिक वटी के उपयोग से अरुचि, भूख कम लगना और शारीरिक कमजोरी को बहुत जल्दी ठीक किया जा सकता है ।

2. त्वचा संबंधित बीमारियों  में उपयोगी

इस औषधि के सेवन से हमारे शरीर में रक्त का संचार संतुलित रहता है और पाचन तंत्र अच्छे से कार्य करता है जिसके कारण हम त्वचा रोगों जैसे सोरायसिस, संक्रमण, दाद और खुजली जैसी बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं। यह आयुर्वेदिक दवा हमारे शरीर में पित्त दोष को भी संतुलित बनाए रखती है। इसलिए त्वचा रोगों से ग्रसित व्यक्ति के लिए आरोग्यवर्धनी वटी का सेवन लाभकारी साबित होता है।

3. मूत्राशय रोगों में लाभकारी

अत्यधिक तला हुआ भोजन खाने के कारण व्यक्ति के शरीर में रक्त का संचार असंतुलित रहने लगता है, जिसकी वजह से शरीर से हानिकारक बैक्टीरिया बाहर नहीं निकल पाता और वह अंदर ही जमा होता रहता है जो अनेक बीमारियों का कारण बनता है। इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए और शरीर से हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने के लिए आरोग्यवर्धनी वटी का इस्तेमाल करना लाभदायक होता है।

4. आँतों की बीमारियों  में लाभदायक

शरीर के अंदर अत्यधिक वसा और प्रोटीन होने के कारण व्यक्ति बहुत जल्दी आँतों की बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। आरोग्यवर्धनी वटी का सेवन हमारे शरीर में आँतों को स्वच्छ और रोगों से मुक्त बनाए रखता है। यह आयुर्वेदिक गोलियां आँतों के अंदर जमा हानिकारक पदार्थों को बाहर निकाल देती हैं। अगर कोई व्यक्ति आंतो की बीमारी जैसे- अल्सरेटिव कोलाइटिस, आदि से ग्रसित है तो उसको इस आयुर्वेदिक दवा का उपयोग करना चाहिए।

5. हृदय रोगों में लाभकारी

उच्चरक्तचाप से परेशान  व्यक्ति बहुत जल्दी हृदय की बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। हृदय की बीमारियों को अगर समय रहते दूर न किया जाए तो यह आपके लिए जानलेवा स्थिति उत्पन्न कर सकती है। हृदय की बीमारियों  जैसे: दिल की धड़कन का कम- ज्यादा होना, दिल का दौरा और हृदय का रुक जाना, आदि को दूर करने के लिए हमें नियमित रूप से प्लेनेट आयुर्वेदा की आरोग्यवर्धनी  वटी का सेवन करना चाहिए। यह आयुर्वेदिक गोलियां हृदय की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करती हैं और हमें हृदय रोगों से बचे रहने में मदद करती हैं।

6. रक्तहीनता को दूर करे

जब व्यक्ति के शरीर में रक्त की कमी हो जाती है तो उसको त्वचा संबंधी रोगों का सामना करना पड़ सकता है। हमारे शरीर में रक्त की कमी को पूरा करने और रक्त संचार के संतुलन के लिए, हमें नियमित रूप से आरोग्यवर्धनी वटी का उपयोग करना चाहिए। इस आयुर्वेदिक दवा का सुबह और शाम 1 गिलास गुनगुने पानी के साथ सेवन करना लाभकारी होता है।

आरोग्यवर्धनी वटी की मात्रा

1-2 गोलियां दिन में दो या तीन बार 1 गिलास  गुनगुने  पानी के साथ सेवन करें।

ध्यान देने योग्य बात

  • इस आयुर्वेदिक औषधि का सेवन करने से पहले किसी वैद्य से परामर्श आवश्य करें।
  • इस औषधि की बहुत ज्यादा मात्रा का सेवन हमारे लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
  • गर्भवती स्त्री, स्तनपान कराने वाली महिला और बच्चों को इस औषधि का सेवन वैद्य की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए।
  • इस आयुर्वेदिक दवा को ठंडी जगह पर रखें।

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Dr. Vikram Chauhan

Dr. Vikram Chauhan (MD - Ayurveda) is a Globally Renowned Ayurveda Physician with Expertise of more than 25 Years. He is the CEO & Founder of http://www.PlanetAyurveda.com, a leading Ayurveda Brand, Manufacturing, and Export Company with a Chain of Clinics and Branches in the US, Europe, Africa, Southeast Asia, India, and other parts of the World. He is also an Ayurveda Author who has written Books on Ayurveda, translated into Many European Languages. One of his Books is "Ayurveda – God’s Manual for Healing". He is on a Mission to Spread Ayurveda All Over the Planet through all the Possible Mediums. With his Vast Experience in Herbs and their Applied Uses, he is successfully treating Numerous Patients suffering from Various Ailments with the help of the Purest Herbal Supplements, Diet, and Lifestyle, according to the Principles of Ayurveda. For More Details, visit. Read More

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