भल्लातक: एक औषधीय पौधा
भल्लातक एक पतझड़ी वृक्ष है। इस जड़ी बूटी का उपयोग आयुर्वेदिक प्रणाली में कफ दोष को शांत करने और कई अन्य बीमारियां जैसे कि यौन सम्बंधित रोग, पाचन सम्बंधित रोग, त्वचा के रोग, बवासीर, शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि, आदि को ठीक करने के लिए किया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस पौधे का उपयोग रोगों को दूर करने से लेकर अनेक गंभीर बीमारियों की रोकथाम के लिए किया जाता है।
भल्लातक पौधे का परिचय
इस पौधे की ऊंचाई 12 से 15 मीटर तक हो सकती है। इसके पत्ते गोलाकार होते हैं। इसके फूल 0.6 – 0.8 सेमी छोटे, हरे और पीले रंग के होते हैं, जो दिसंबर से जनवरी में खिलते हैं। इस पौधे के फल लगभग 2 से 2.5 सेमी लम्बे, चिकने, अंडाकार और काले रंग के होते हैं जो फरवरी से जून तक पेड़ पर रहते हैं। भल्लातक के काले फल के अंदर के बीज को गोदंबी कहा जाता है। यह पौधा भारत में हिमालय के आस-पास गर्म स्थानों से लेकर कोरोमंडल तट तक पाया जाता है। प्राचीन काल से ही इस लाभकारी फल का इस्तेमाल अनेक बिमारियों के उपचार में किया जा रहा है।
भल्लातक के अन्य भाषाओं में नाम
- लैटिन – सेमेकार्पस एनाकार्डियम (Semecarpus anacardium)
- आयुर्वेदिक नाम – भल्लातक, अरुष्कर
- अंग्रेजी – Marking Nut, Ink Nuts
- यूनानी – भिलावन, बलोदुर
- संस्कृत – अग्निका, अग्निमुख, भूतनाशन
- हिंदी – भिलावा, भेला, बेलातक
- मराठी – बिब्बा
- तमिल – चेनकोट्टई, रुतकरम, सरनकोट्टई, रेमुकी, सेंगोट्टई, सेरांगोताई
- कन्नड़ – अग्निमुखी, चेरा, केरूबीजा, गेरकायी, भल्लातक
- मलयालम – अलक्कुसेरु, सेरा, शेनगोट्टा, थेनकोट्टा
- उर्दू – बलादुर
- तेलुगु – शेंटा, गुडोवा, भल्लाथकी
शरीर के अंदर त्रिदोषों पर भल्लातक का प्रभाव
आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार भल्लातक शरीर के अंदर वात और कफ दोष को संतुलित रखने में मदद करता है।अगर आपके शरीर में वात दोष असंतुलित हो जाए तो आप यौन रोग से ग्रसित हो सकते हैं और अगर आपके शरीर में कफ दोष असंतुलित हो जाए तो आप स्वाश से संबंधित अनेक बिमारियों से पीड़ित हो सकते हैं।यह फल आपके शरीर में इन सभी बिमारियों को दूर करने में अहम भूमिका निभाता है।
भल्लातक के औषधीय गुण
आयुर्वेद के अनुसार यह फल मधुर और तिक्त रस से युक्त, कड़वे स्वाद वाला होता है। इसका गुण लघु होता है। इसकी तासीर गर्म होती है इसीलिए यह कफ विकारों को दूर करने वाला होता है।अगर आप इस फल के गुणों का उपयुक्त लाभ लेना चाहते हैं तो आपको किसी वैद्य के परामर्शानुसार इसका सेवन करना चाहिए ।
व्याख्या :- इस श्लोक में कहा गया है कि भल्लातक कषाय तथा मधुर रस युक्त, उष्णवीर्य, वीर्यवर्धक एवं लघु होता है और यह वात, कफ, उदररोग, कुष्ठ रोग, बवासीर, संग्रहणी, गुल्म, ज्वर, अग्निवर्धक, कृमिरोग नाशक, तथा वर्ण को दूर करता है।
सन्दर्भ :- भावप्रकाश निघण्टु, (हरितक्यादिवर्ग ), श्लोक – 232
भल्लातक के बिमारियों को दूर करने वाले गुण
1. कृमिरोग नाशक
अगर कोई व्यक्ति आंत कि किसी भी बीमारी से ग्रसित है तो उसके लिए भल्लातक के काढ़े का सेवन करना लाभकारी साबित होता है। इसके सेवन के लिए आपको भल्लातक फल का इस्तेमाल करना चाहिए। यह प्रयोग शरीर के रक्त संचार को संतुलित बनाए रखता है।
2. यौन रोगों में लाभकारी
पुरुषों में नपुंसकता, वीर्य का पतलापन और स्वप्नदोष की वजह से उसकी शादीशुदा ज़िंदगी खराब हो जाती है। खान पान का ध्यान न रख पाने के कारण और बुरी आदतों की वजह से पुरुष यौन कमजोरी से ग्रसित हो जाता है। अगर समय रहते इस गंभीर समस्या को दूर नहीं किया जाये तो आगे चलकर यह एक बहुत बड़ी बीमारी का रूप ले सकती है। इस गंभीर बीमारी को दूर करने के लिए आपको भल्लातक फल से चूर्ण तैयार करके, १ चम्मच चूर्ण रात को सोने से पहले १ गिलास देसी गाय के गर्म दूध के साथ रोजाना सेवन करना चाहिए। यह प्रयोग यौन शक्ति को बहुत तेजी से बढ़ाता है।
3. पुरुषों के अंदर शुक्राणुओं की कमी को दूर करे
एक शोध के अनुसार आज कल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी और गलत खान पान की वजह से लोगों की यौन शक्ति बहुत जल्दी कमजोर हो जाती है और समाज में यह गंभीर समस्या सामान्य सी हो गयी है। इस गंभीर बीमारी को दूर करने के लिए आप भल्लातक फल के १ चम्मच चूर्ण को सुबह और शाम १ गिलास देसी गाय के गर्म दूध के साथ रोजाना सेवन कर सकते हैं। यह प्रयोग शुक्राणुओं की कमी को बहुत जल्दी दूर कर वीर्य को बढ़ाने में सहायक होता है।
4. भूख बढ़ाने में सहायक
अगर कोई व्यक्ति अपच और भूख न लगने की समस्या से परेशान है तो उसको सुबह खाली पेट भल्लातक की छाल का काढ़ा, आधा गिलास नियमित रूप से पीना चाहिए। इस प्रयोग के रोजाना सेवन से भूख भी संतुलित हो जाती है और पाचन तंत्र भी दुरुस्त बना रहता है।
भल्लातक के कुछ अन्य आयुर्वेदिक फायदे
- यह जड़ी बूटी क्षुधावर्धक है और जठराग्नि को उत्तेजित करने के लिए उपयोग की जाती है। आयुर्वेद में यह पाचन में सुधार के लिए फायदेमंद मानी जाती है।
- यह कब्ज, पाचन विकार, पेट में गड़बड़ी, जलोदर, बवासीर और विभिन्न प्रकार के कृमि संक्रमण से राहत के लिए बहुत अच्छी औषधि साबित होती है।
- त्वचा संबंधी विभिन्न विकारों जैसे कि त्वचा पर चकत्ते, खुजली और सूजन आदि को ठीक करने के लिए इस पौधे की छाल का उपयोग लाभदायक होता है।
- मस्तिष्क की कमजोरी में उपयोगी और स्मरण शक्ति को बेहतर बनाने के लिए भी इस पौधे का उपयोग किया जाता है।
- इसका उपयोग खांसी और अस्थमा को ठीक करने के लिए किया जाता है। इस पौधे के फूल का काढ़ा अस्थमा रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता हैं।
- इसका उपयोग वात दोष के कारण होने वाले विभिन्न तंत्रिका संबंधी विकारों जैसे कि मिर्गी, आदि के इलाज के लिए भी किया जाता है।
- दिल का दौरा और हृदय की दुर्बलता को ठीक करने के लिए इस पौधे की छाल बहुत ही उपयोगी होती है।
निष्कर्ष
भल्लातक का पौधा पुरुष और महिला दोनों के लिए बहुत ही अच्छी औषधि है जो कई स्वास्थय सम्बन्धी बीमारियों से बचाता है और उनका इलाज भी करता है।