औषधीय गुणों से भरपूर वत्सनाभ का पौधा

प्राचीन काल से ही इस प्राकृतिक पौधे का प्रयोग पाचन तंत्र से संबंधित विकारों को दूर करने के लिए होता रहा है| आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस पौधे को मीठा विष  के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार अगर कोई व्यक्ति जोड़ों की बीमारी या गठिया जैसी बीमारियों से पीड़ित है, तो उसको वत्सनाभ के पौधे से तैयार तेल का उपयोग करना लाभकारी साबित हो सकता है। इस प्राकृतिक पौधे के अंदर भरपूर मात्रा में औषधीय गुण पाए जाते हैं। आज इस लेख में हम वत्सनाभ के बिमारियों को दूर करने वाले लाभकारी गुणों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त करेगें।

वत्सनाभ

वत्सनाभ का परिचय

यह पौधा भारत देश में हिमालय की ऊँची चोटियों पर पाया जाता है। वत्सनाभ  एक बारहमासी झाड़ीनुमा पौधा हैं। इस की पौधे की लम्बाई 2 से 7 फिट तक होती है। इस पौधे के फूल नील रंग के और बहुत ही सुन्दर प्रतीत होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इस पौधे के पत्तों की लम्बाई 4से 5 इंच तक हो होती है। इस पौधे की जड़ हल्के भूरे रंग की होती जो अनेक बिमारियों की रोकथाम के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्रयोग की जाती है|   यह पौधा बहुत ही आकर्षक और सुन्दर आकार वाला होता  है। वत्सनाभ की कुछ अन्य प्रजातियों में इसके फूलों का रंग पीला, और गुलाबी होता है|

प्राचीन आचार्यों ने वत्सनाभ के बारे में कहा है कि

सिन्दुवारसदृक्पत्रो वत्स्नाभ्याकृतिस्तथा |

यत्पार्शेव:न  तरोवृद्धि वत्सनाभ: स उच्यते ||

अर्थात जिसके पते निर्गुन्डी के समान हो एवं जड़ की आकृति बछड़े की नाभि के समान दिखाई दे | उसके आस – पास और कोई वृक्ष न उगता हो, उसे वत्सनाभ समझना चाहिए

बाहरी-स्वरूप

इसका क्षुप (झाड़ीनुमा पौधा) बहुवर्षीय होता है। वत्सनाभ का बाहरी रंग धूसर और आंतरिक रंग सफेद, चिकना तथा कुछ चमकीला होता है। इसका तना सीधा और सरल होता है। इसके पत्ते सिन्दुवार के पत्तों के समान तथा फूल लाल, सफेद और पीले रंग के होते हैं। वत्सनाभ का फल गोल व चिकना होता है।

यह पौधा गर्म तासीर वाला और स्वभाव में कषैला होता है, लेकिन आयुर्वेद में इस पौधे को लाभकारी गुणों वाला और तीनों दोषों को संतुलित रखने वाला बताया गया है। आयुर्वेद के अनुसार इस पौधे के अंदर ज्वरनाशक, सूजन को दूर करने वाले और पेट से संबंधित विकारों को दूर करने वाले महत्वपूर्ण गुण मौजूद होते हैं।

वत्सनाभ के प्रयोज्य अंग:- जड़े, पत्ते|

वत्सनाभ के औषधीय गुण

  • रस – मधुर
  • गुण – रुक्ष, तीक्ष्ण, लघु, व्यवायी, विकसी
  • वीर्य – उष्ण
  • विपाक  – मधुर

वत्सनाभ पौधे के अन्य भाषों में नाम

  • Botanical Name: Aconitum ferox (एकोनिटम फेरॉक्स)
  • हिन्दी – मीठा विष, मीठा तेलिया, बछनाग
  • संस्कृतअमृत, वत्सनाभ
  • पंजाबीमोहरी, चितिजारी , पतीस
  • बंगाली – काठ विष, मीठा विष
  • बिहारीडाकारा
  • गुजरात – बछनाग
  • कन्नड़वत्सनाभि, अतिविषा
  • मराठी – वचनाग
  • अरबी विष
  • फारसी विचनाग
  • तेलुगु  – नाभि, अतिवसा

आयुर्वेद के अनुसार शरीर के अंदर तीनों दोषों पर वत्सनाभ के प्रभाव

यह प्राकृतिक पौधा आपके शरीर की पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में बहुत ज्यादा लाभकारी माना जाता है। यह जड़ी-बूटी के रूप में शरीर के अंदर तीनों दोषों वात, पित्त और कफ को संतुलित रखने में मदद करता है और मुख्य रूप से बढ़े हुए कफ और पित्त दोष को संतुलित करने में मददगार साबित होता है। आयुर्वेद में इस पौधे की शक्ति प्रदान करने वाला, आतों की बीमारी को दूर करने वाला, बवासीर, आंतरिक सूजन को दूर करने वाला माना जाता है।

वत्सनाभ के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में विस्तारपूर्वक बताया गया है कि

classical references

व्याख्या:–इस श्लोक में कहा गया है कि वत्सनाभ उष्णवीर्य, कटु तथा तिक्त रस युक्त, पाचन तथा अग्निदीपक होती है इसके साथ साथ कफ, पित्त, अतिसार, आम, विष, काश, वमन और कीट से होने वाले संक्रमण को दूर करने में सहायक है।

सन्दर्भ -भावप्रकाश निघण्टु, (हरितक्यादिवर्ग) श्लोक -214 ।

वत्सनाभ के आयुर्वेदिक गुण और उपयोग

1. बहुत तेज ज्वर को दूर करने में सहायक

आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार अगर किसी व्यक्ति को बार -बार बहुत तेज बुखार हो रहा है, तो उसके शरीर में कफ और पित्त दोष बढ़ जाता है, जिसकी वजह से तेज बुखार हो जाता है। इस स्थिति में सुबह खाली पेट वत्सनाभ के 1 चम्मच चूर्ण को 1 गिलास गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से यह बीमारी बहुत जल्दी दूर हो जाती है|

2. आंतरिक व बाहरी सूजन को दूर करें

अगर कोई व्यक्ति शरीर के अंदर या बाहर की सूजन से ग्रसित है, तो उसको वत्सनाभ का उपयोग करना फायदेमंद साबित हो सकता है। इस पौधे के अंदर एंटी इंफ्लेमेंटरी गुण भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो सूजन को बहुत जल्दी दूर करने में मदद करता है। इसके उपयोग के लिए वत्सनाभ की जड़, का आधा गिलास काढ़ा सुबह खाली पेट सेवन करने से अत्यधिक फायदा पहुँचता है। आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार इस पौधे की जड़ से तैयार काढ़े का सेवन हृदय की सूजन, पेट के अंदर की सूजन और जोड़ों की सूजन को बहुत जल्दी कम करने में लाभकारी साबित होता है|

3. खांसी को खत्म करने में मददगार

इस पौधे की तासीर गर्म होती है और कषैला स्वाद होता है जो शरीर से हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने के साथ-साथ हानिकारक संक्रमण को खत्म करने में मदद करता है। आयुर्वेद में इस पौधे को कफ नाशक यानि शरीर के अंदर कफ को संतुलित रखने वाला बताया गया है। अगर शरीर में कफ दोष असंतुलित है तो बहुत जल्दी श्वास से संबंधित विकारों जैसे खांसी, साँस न आना और फेफड़ों में दर्द होने जैसी समस्याएं सामने आने लग जाती हैं। इन सभी समस्याओं को दूर करने और शरीर के अंदर कफ को संतुलित रखने के लिए सुबह खाली पेट वत्सनाभ के पौधे का आधा गिलास काढ़ा रोजाना सेवन करना लाभकारी साबित होता है।

4. मूत्राशय से संबंधित रोगों को दूर करने में मददगार

आज कल की जीवनशैली और अत्यधिक खान पान की वजह से लोग बहुत जल्दी मूत्राशय से संबंधित बिमारियों जैसे पेशाब का रुक रुक के आना, पेशाब करते समय दर्द होना, शीने में दर्द होना आदि। इन सभी परेशानियों को दूर करने के लिए सुबह खाली पेट वत्सनाभ की जड़ से तैयार 1 चम्मच चूर्ण का सेवन 1 गिलास गुनगुने पानी के साथ रोजाना सेवन करना चाहिए। यह प्रयोग शरीर से हानिकारक बैक्टीरिया को मूत्राशय मार्ग से बाहर निकलने में सहायक साबित होता है।

5. रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने में सहायक

आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार अगर किसी भी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता अत्यधिक कमजोर हो जाती है, तो वह बहुत जल्दी बिमारियों से ग्रसित होने लगता है। एक शोध के अनुसार आज के समाज में बच्चों की रोगों से लड़ने की शक्ति बहुत ही कम होती जा रही है। आज लोग अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए अनेक दवाईयों और उत्पादों का सेवन करते हैं परन्तु उन सभी  उत्पादों से कोई फायदा नहीं पहुँचता। कमजोरी प्रतिरक्षा वाले व्यक्ति को सुबह और शाम वत्सनाभ के आधा गिलास काढ़े का सेवन रोजाना करने से बहुत ज्यादा फायदा पहुँचता है। यह प्रयोग शरीर को बिमारियों से बचाए रखने में मददगार साबित होता है।

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Dr. Vikram Chauhan

Dr. Vikram Chauhan (MD - Ayurveda) is a Globally Renowned Ayurveda Physician with Expertise of more than 25 Years. He is the CEO & Founder of http://www.PlanetAyurveda.com, a leading Ayurveda Brand, Manufacturing, and Export Company with a Chain of Clinics and Branches in the US, Europe, Africa, Southeast Asia, India, and other parts of the World. He is also an Ayurveda Author who has written Books on Ayurveda, translated into Many European Languages. One of his Books is "Ayurveda – God’s Manual for Healing". He is on a Mission to Spread Ayurveda All Over the Planet through all the Possible Mediums. With his Vast Experience in Herbs and their Applied Uses, he is successfully treating Numerous Patients suffering from Various Ailments with the help of the Purest Herbal Supplements, Diet, and Lifestyle, according to the Principles of Ayurveda. For More Details, visit. Read More

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