अंकोल पौधे के औषधीय गुण और उपयोग करने की विधि

आयुर्वेद के अनुसार अनेक औषधीय गुणों से भरपूर यह प्राकृतिक पौधा आज विलुप्त होने की कगार पर है। प्राचीन काल से ही आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस प्राकृतिक पौधे का उपयोग अनेक बीमारियों की रोकथाम के लिया किया जा रहा है। आज के समाज में हर व्यक्ति आयुर्वेद के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहता है और प्रकृति में उपस्थित जड़ी बूटियों का लाभ उठाना चाहता है, परन्तु इसके लिए हमें उन प्राकृतिक जड़ी-बूटियों के बारे में जानकारी होनी बहुत जरूरी है। अगर हम जड़ी-बूटियों की पहचान कर उनके गुणों के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें तो अनेक बीमारियों की रोकथाम में  हम उनका प्रयोग कर सकते हैं। आज इस लेख में हम अंकोल पौधे के आयुर्वेदिक गुणों के बारे में आवश्यक जानकारी प्राप्त करेगें। अंकोल

अंकोल पौधे का परिचय

यह बड़े क्षुप या छोटे वृक्ष होते हैं, जो 3 से 6 मीटर लंबे होते हैं तथा इसके तने की मोटाई 2.5 फ़ुट होती है, यह भूरे रंगकी छाल से ढका रहता है। यह पौधा भारत में अत्यधिक पाया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस पौधे का उपयोग आंत और पेट संबंधित विकारों के उपचार के लिए किया जाता है। वायरल संक्रमण के प्राकृतिक उपचार में यह पौधा बहुत ही लाभकारी भूमिका निभाता है, जैसे कुत्ते के काटने से होने वाला संक्रमण, आदि। इसके पत्तों की लम्बाई 3 से 5 इंच और चौड़ाई 1 इंच तक होती है।

इस पौधे के अन्य भाषाओं में नाम

  • लेटिन   – अलैंगियम सलविफोलियम (Alangium salvifolium)
  • अंग्रेजी – Sage leaved Alangium
  • हिंदी  – ढेर, अंकोल
  • संस्कृत  – अंकोट, दीर्घाकिला, अंकोल, मल्लिका, गन्धपुष्प, आदि
  • मराठी / गुजराती  – अंकोल
  • तमिल  – एलंगी
  • कन्नड़  – अंकोलीमरा
  • बंगाली  – अकोड़ा
  • तेलुगु – अमकोलामु

शरीर के त्रिदोषों पर अंकोल के प्रभाव

आयुर्वेद के अनुसार यह पौधा, मुख्य रूप से  शरीर के अंदर कफ और वात दोष को संतुलित करता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस पौधे का प्रयोग ल्यूकोरिया, मूत्रविसर्जन के दौरान दर्द, कब्ज की समस्या, बवासीर, पाचन संबंधी, पेट संबंधी, एवं त्वचा संबंधी विकारों, दस्त, पेचिश, आदि के उपचार में किया जाता है। यह पौधा हमारे शरीर से हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालकर शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। अगर इस पौधे का सही उपयोग किया जाए तो यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करता है।

अंकोल पौधे के औषधीय गुण

  •   रस      –      तिक्त, कषाय
  •   गुण     –      लघु, रुक्ष
  •   वीर्य     –       उष्ण
  •   विपाक   –       कटु ।
  •  शरीर के अंदर हानिकारक विष के असर को खत्म करने वाला ,वात  और कफ नाशक होता है ।

अंकोल पौधे के प्रयोज्य अंग

  • जड़ की छाल
  • पत्ते
  • फल
  • बीज
  • अंकोल पौधे से तैयार तेल

अंकोल के बारे में एक प्राचीन श्लोक

sloke

व्याख्या

इस श्लोक  में कहा गया है कि अंकोल का फल शीतल, स्वादिष्ट, कफनाशक, बृंहण, पाक में गुरु, बलकारक, वायु, पित्त, दाह, क्षय तथा रक्तविकारों को दूर करने वाला होता है।

सन्दर्भ :–भावप्रकाश निघण्टु ,(गुडुच्यादिवर्ग ),श्लोक -141|

अंकोल पौधे के आयुर्वेदिक गुण

1. गठिया रोग में लाभकारी

एक शोध के अनुसार जब व्यक्ति के शरीर में कैल्शियम कि कमी हो जाती है तो उसकी हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, ऐसी स्थिति में वह हड्डी और जोड़ों की बीमारी गठिया, आदि से ग्रसित हो सकता है। इस बीमारी को दूर करने के लिए और हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए हमें अंकोल पौधे के पत्तों को जलाकर, उन्हें  जोड़ों के ऊपर सूती कपड़े के साथ बांध देना चाहिए। यह प्रयोग जोड़ों में होने वाली अत्यधिक वेदना को कम करने में मदद करता है।

2. ल्यूकोरिया को दूर करने में सहायक

आज के समाज में ल्यूकोरिया यानि महिलाओं में योनि से निकलने वाले सफेद पानी की समस्या सामान्य सी हो गयी है और अगर इस समस्या को जल्दी दूर नहीं किया जाता तो यह आगे चलकर योनि  के संक्रमण की एक गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है। योनि रोगों से सुरक्षित रहने के लिए महिलाओं को अंकोल के फलों का 1 चम्मच गूदा, आधा चम्मच तिल का तेल और आधा चम्मच शहद का मिश्रण करके सुबह और शाम सेवन करना चाहिए। यह महिलाओं के योनि रोगों को बहुत जल्दी दूर करने में मदद करता है।

3. दमा रोगों में लाभदायक

अगर कोई व्यक्ति दमा रोग से ग्रसित है तो उसके लिए अंकोल का उपयोग करना लाभदायक होता है। इसके उपयोग के लिए प्राकृतिक अंकोल पौधे की छाल के एक चम्मच रस में एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर रोजाना सुबह खाली पेट पीना चाहिए। इसके अलावा अंकोल के पौधे की छाल का एक चम्मच चूर्ण सुबह खाली पेट 1 गिलास गुनगुने पानी के साथ भी सेवन कर सकते हैं। यह प्रयोग शरीर के अंदर जमी कफ को बहार निकाल कर दमा की बीमारी को बहुत जल्दी दूर करने में लाभकारी साबित होता है।

4. बवासीर को खत्म करें

आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार बवासीर की बीमारी पाचन सम्बन्धी विकारों की वजह से होती है जिनमें अत्यधिक मामले कब्ज़ के होते हैं। यदि हम अपने खान-पान और दिनचर्या का ध्यान रखें तो इस बीमारी से आसानी से बच सकते हैं। बवासीर से ग्रसित व्यक्ति को अंकोल पौधे की छाल का एक चम्मच चूर्ण और आधा चम्मच पिसी कालीमिर्च के मिश्रण का रात को सोने से पहले 1 गिलास गुनगुने पानी के साथ सेवन करना चाहिए। यह प्रयोग बहुत जल्दी कब्ज की समस्या को खत्म कर व्यक्ति को बवासीर जैसी गंभीर बीमारी से सुरक्षित रखता है।

अंकोल पौधे के अन्य बिमारियों में लाभ

  • पेट संबंधी रोग, गले में खराश आदि जो मुख्य रूप से  पित्त बढ़ने के कारण होती हैं, इन सभी को अंकोल फल के उपयोग से दूर किया जा सकता है।
  • अंकोल का पौधा सभी तरह की पाचन सम्बन्धी बीमारियों को ठीक करने में सहायता करता है । अंकोल कफ संतुलन और मानसिक  विकारों को दूर करने में भी सहायक है।
  • अंकोल पौधे का उपयोग चूहे के काटने, सांप के काटने और मकड़ी के काटने पर भी किया जा सकता है।

  इन सभी का उपयोग करने से पहले किसी वैद्य से परामर्श अवश्य करें।

 

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Dr. Vikram Chauhan

Dr. Vikram Chauhan (MD - Ayurveda) is a Globally Renowned Ayurveda Physician with Expertise of more than 25 Years. He is the CEO & Founder of http://www.PlanetAyurveda.com, a leading Ayurveda Brand, Manufacturing, and Export Company with a Chain of Clinics and Branches in the US, Europe, Africa, Southeast Asia, India, and other parts of the World. He is also an Ayurveda Author who has written Books on Ayurveda, translated into Many European Languages. One of his Books is "Ayurveda – God’s Manual for Healing". He is on a Mission to Spread Ayurveda All Over the Planet through all the Possible Mediums. With his Vast Experience in Herbs and their Applied Uses, he is successfully treating Numerous Patients suffering from Various Ailments with the help of the Purest Herbal Supplements, Diet, and Lifestyle, according to the Principles of Ayurveda. For More Details, visit. Read More

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